छत्तीसगढ़

Good News : लेमनग्रास अब छत्तीसगढ़ में, 800 एकड़ से अधिक रकबा में की गई खेती

रायपुर। Good News : छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में किसानों ने लेमनग्रास की खेती की विधि सीख ली है। इन्हें औषधि पादप बोर्ड द्वारा निःशुल्क औषधीय पौधे एवं मार्गदर्शन मिला है। इसके परिणाम स्वरूप वर्तमान में छत्तीसगढ़ के 800 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में लेमनग्रास की खेती की जा रही है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर की मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड की पहल से किसान इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अब किसानों द्वारा सकारात्मक रूप से लेमनग्रास को अपनाया जा रहा है। लेमनग्रास की खेती से धान की फसल की अपेक्षा अधिक लाभ संभावित है।

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Good News : इस तारतम्य में मुख्य कार्यपालन अधिकारी छत्तीसगढ़ आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड श्री जे. ए. सी. एस. राव ने जानकारी दी कि लेमनग्रास एक औषधीय एवं सुगंधित पौधा है, लेमनग्रास तेल का कई प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन सामग्री तथा अन्य उत्पाद में उपयोग में आता है। पूरे विश्व में भारत लेमनग्रास तेल का शीर्ष निर्यातक है। लेमनग्रास बहुवर्षीय फसल है।

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छत्तीसगढ़ में धान की खेती तथा इसान बाली जगहों पर दलहन तथा अन्य फसलों की खेती पारंपरिक तरीके से की जाती ह,ै जिससे किसानों को पर्याप्त आमदनी नहीं हो पाती है। छत्तीसगढ़ की जलवायु लेमनग्रास की खेती हेतु बहुत उपयुक्त है। इसकी खेती खाली पड़त भूमि पर की जाती है। लेमनग्रास की खेती कई प्रकार की भूमि पर की जा सकती है, जिसमें सिंचाई हेतु पानी की आवश्यकता कम होती है। इसको एक बार रोपण करने उपरांत बार-बार रोपण की आवश्यकता नही होती। चूंकि इसकी कटाई हर बाई से तीन माह में की जाती है, जिससे किसानों को आय का स्त्रोत बना रहता है।

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Good News : राज्य में लेमनग्रास उत्पादन से धान की अपेक्षा किसानों की आय में कई गुना वृद्धि की संभावना है। छत्तीसगढ़ में लेमनग्रास की खेती के लिए औषधीय पादप बोर्ड (छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड) के प्रयास से छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद पेण्ड्रा, कोरिया कोरबा, बिलासपुर तथा बलरामपुर जिलों के 66 ग्रामों के 653 किसानों के लगभग 800 एकड़ में लेमनग्रास की खेती की जा रही है, जिससे प्रति एकड़ 80000 से एक लाख रूपए आय की प्राप्ति किसानों को होगी।

Good News : लेमनग्रास कृषिकरण तकनीक

Good News : लेमनग्रास की बुआई पूरे वर्षभर (अत्यधिक ठंड तथा गर्मी को छोड़कर) की जाती है । एक एकड़ में रोपण हेतु 16 से 20 हजार पौधे की आवश्यकता होती है। फसल की कटाई हर ढाई माह के अंतराल में किया जाता है। इसकी उत्पादन वर्ष में 04 से 05 बार तक की जा सकती है। लेमनग्रास तेल की वर्तमान बाजार कीमत 800 से 950 रू प्रति किग्रा तक होती है। इस हिसाब से किसानों को एक एकड़ से 80 हजार से भी अधिक आय प्राप्त होती है।

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Good News : प्रसंस्करण की विधि

लेमनग्रास की पहली कटाई 6 माह उपरांत हर ढाई माह में किया जाता है। फसल कटाई कर आसवन यूनिट की सहायता से उसका तेल निकाल लिया जाता है। तत्पश्चात तेल बाजार में विक्रय हेतु तैयार हो जाता है। बोर्ड द्वारा मार्केटिंग हेतु भी सुविधा प्रदाय की जाती है, जिससे किसानों को 15 दिनों में ही उपज का पैसा प्राप्त हो जाता है।

Good News : रोपण सामग्री की उपलब्धता

लेमनग्रास की खेती करने के लिए लेमनग्रास की पौधे आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे। पहले वर्ष रोपित किये जाने वाले पौधे राज्य शासन के योजना अंतर्गत बोर्ड के माध्यम से निःशुल्क प्रदाय किया जाता है। रोपित लेमनग्रास में से आवश्यकतानुसार पौधे दूसरे स्थानों पर रोपण हेतु उपयोग में लाया जा सकता है। इसी प्रकार रोपित किये जाने वाले पौधों की उपलब्धता बनी रहती है। लेमनग्रास का उपयोग लेमनग्रास टी. खराश, बुखार, मांस पेशियों की ऐंठन एवं सौंदर्य प्रसाधन संबंधित उत्पादों में इसका उपयोग किया जाता है। इसे कई रोगों में उपयोग किये जाने के कारण इसकी बाजार मांग अत्यधिक है।

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